कहानी बन के जियें हैं; वो दिल के आशियानों में!
सारी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤ के बदलने से ​हमे फरà¥à¤• नहीं ​पड़ता;
फिर पलट रही हैं सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥€ रातें,
जब तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ याद आती है तो घर अचà¥à¤›à¤¾ नहीं लगता।
​याद आती है तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ तो सिहर जाता हूठमैं​;​
ना जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाये।
कमबà¥à¤–त साà¤à¤¸ à¤à¥€ तो उसकी याद के बाद आती है।
पर इतनी जलà¥à¤¦à¥€ à¤à¥à¤² जाà¤à¤‚गे अंदाज़ा ना था।
जितना लिख के खà¥à¤¶ हà¥à¤ read more उससे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मिटा के रोà¤!
वरà¥à¤¨à¤¾ सीने में सांस à¤à¥€ पराई सी लगती है।
हाथ पढ़ने वाले ने तो read more परेशानी में डाल दिया मà¥à¤à¥‡;
तेरे बगैर इस जिंदगी की हमें जरà¥à¤°à¤¤ नहीं;
à¤à¤• तेरी ख़ामोशी जला देती है इस पागल दिल click here को;
हमें रह-रह के याद अपना दिल-à¤-दीवाना आता है।